श्री लक्ष्मी चालीसा और मंत्र

देवी लक्ष्मी जी को धन, समृद्धि और वैभव की देवी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि लक्ष्मी जी की नित्य पूजा करने से मनुष्य के जीवन में कभी दरिद्रता नहीं आती है। श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ रोज स्नान करने के बाद माँ लक्ष्मी की प्रतिमा के सामने करने से दरिद्रता का नाश होता है। लक्ष्मी चालीसा के पाठ से घर में सुख शांति बानी रहती है।

मां लक्ष्मी कर देंगी धन धान्य से परिपूर्ण
माता लक्ष्मी जिस पर मेहरबान हो जाएं उसे किसी प्रकार की कोई कमी नहीं रहती है इसलिए माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए सभी अपनी तरह से पूजा अर्चना करते हैं। मां लक्ष्मी वैभव और यश की देवी हैं। ये माता दुर्गा की तीन शक्तियों में से एक हैं। मां लक्ष्मी कमल पर विराजमान रहती हैं। उनकी हथेलियां खुली हुई रहती हैं जिनसे धन वर्षा होती रहती है। धन, दौलत और शोहरत पाने का ख्वाब बुनते हुए हर कोई दिन-रात मेहनत करता है लेकिन मां लक्ष्मी की कृपा किसी-किसी पर ही बरसती है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ऐसा कौन सा उपाय आजमाएं, जिससे हम पर मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहे और हमारे घर की तिजोरी धन-दौलत से भरी रहे? आइए जानते हैं धन की देवी माता लक्ष्मी से जुड़े वे महाउपाय, जिन्हें श्रद्धा भाव से करने पर पैसों की किल्लत दूर होती है और घर धन-धान्य से भरा रहता है।
धन प्राप्ति के उपाय - अगर आपको लगता है कि आप रुपये-पैसों की किल्लत झेल रहे हैं या मां लक्ष्मी आपसे रूठी हुई हैं तो धन प्राप्ति के मंत्र प्रयोग
  1. ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।
    अगर आप पर कर्ज है और आप उस कोशिश करने पर भी चुकी नहीं पा रहे हैं तो इस मंत्र का जाप करें। इसका जाप करने से पैसो की तंगी दूर होती है।
  2. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:
    इस मंत्र का जाप करने से सफलता प्राप्त होती है। हो सके तो इस मंत्र का जाप मां लक्ष्मी की चांदी या अष्टधातु की प्रतीमा के सामने करें।
  3. पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्।
    इस मंत्र का जाप करने से घर में किसी भी प्रकार से अन्न और धन की कमी नहीं रहती है। इस मंत्र का जाप स्टफीक की माला से करना चाहिए।
  4. ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:
    कोई भी शुभ कार्य करने से पहले या किसी काम से घर से बाहर निकलने से पहले इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे सभी कार्य पूर्ण होते हैं।
  5. ओम लक्ष्मी नम:
    इस मंत्र को श्रद्धा पूर्वक जपने से घर में मां लक्ष्मी का वास करती हैं। कभी अन्न और धन की कमी नहीं रहती है। इस मंत्र का जाप कुशा के आसन पर बैठकर करना चाहिए।
  6. लक्ष्मी नारायण नम:
    इस मंत्र में मां लक्ष्मी और नारायण यानि भगवान विष्णु का नाम एक साथ लिया जाता है इसलिए पति-पत्नी के बीच रिश्तें को मजबूत करने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके जाप से घर में सुख-समृद्धि भी आती है।
  7. ॐ धनाय नम:
    इन दोनों मंत्रो का जाप करने से धन संबंधित परेशानियां दूर होती हैं।
माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने को सामान्य घरेलु प्रयोग
  • आर्थिक संकट से मुक्ति के लिए महालक्ष्मी यंत्र की स्थापना करें और उसकी प्रतिदिन पूजा करें।
  • इससे मां लक्ष्मी का अपमान होता है और वह रूठकर चली जाती हैं।
  • कभी भी जूठे हाथ से रुपए-पैसे को स्पर्श न करें।
  • किसी भी अशुद्ध या गंदे स्थान से माता लक्ष्मी रूठकर चली जाती हैं। रात्रि को किचन में भूलकर भी गंदे बर्तन न छोड़ें।
  • झाड़ू को कभी भी पैर से ठोकर न मारें और उसे हमेशा छिपाकर रखें, कभी भी खड़ी झाड़ू न रखें।
  • महालक्ष्मी यंत्र को कैश बॉक्स या फिर तिजोरी में रखने से धन लाभ होता है।
  • मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अपने घर एवं व्यावसायिक स्थल पर साफ-सफाई रखते हुए हमेशा पवित्रता कायम रखें।
  • मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्रीयंत्र पर कमल का फूल चढ़ाएं और श्री सूक्त का पाठ करें।
  • माता लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए शुक्रवार के दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान करने के बाद सफेद या क्रीम कलर के कपड़े पहनें।
  • माता लक्ष्मी की प्रिय चीजें जैसे शंख, कौड़ी, श्रीफल यानी नारियल आदि पूजा में विशेष रूप से अर्पित करें, साथ ही प्रसाद में मिश्री और खीर का भोग लगाएं।
  • माता लक्ष्मी की मूर्ति या फोटो को ईशान कोण या फिर पूर्व दिशा में रखकर ही पूजा करें।
  • माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप स्फटिक या कमलगट्टे की माला से करें।
  • माता लक्ष्मी के साथ भगवान श्री नारायण की भी पूजा करें, लक्ष्मी और नारायण, दोनों की पूजा करने से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद बना रहेगा और धन संबंधी बाधाएं दूर होंगी।
  • यदि चाहते हैं कि माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहे तो भूलकर भी रात्रि में चावल, दही आदि का सेवन न करें।
  • रुपए गिनते समय नोट पर कभी भी थूक न लगाएं।
  • शुक्रवार के दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार चीनी, दूध, चावल, चांदी, इत्र जैसी सफेद वस्तुओं का दान करें।
  • शुक्रवार के दिन घर के मुख्य द्वार पर बाहर की तरफ जमीन पर रोली या लाल रंग से माता लक्ष्मी के पैरों के चिन्ह बनाएं।

श्री लक्ष्मी चालीसा

॥ दोहा।।
मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध करि, परुवहु मेरी आस।।


॥ सोरठा।।
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदम्बिका।।


॥ चौपाई।।
सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही। ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोही।।
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी।।
जय जय जगत जननि जगदम्बा। सबकी तुम ही हो अवलम्बा।।
तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमारी खासी।।
जगजननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी।।
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी।।
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी।।
कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी। जगजननी विनती सुन मोरी।।
ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता।।
क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिन्धु में पायो।।
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभु बनि दासी।।
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रुप बदल तहं सेवा कीन्हा।।
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा।।
तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं।।
अपनाया तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी।।
तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी। कहं लौ महिमा कहौं बखानी।।
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन इच्छित वांछित फल पाई।।
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मनलाई।।
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करै मन लाई।।
ताको कोई कष्ट नोई। मन इच्छित पावै फल सोई।।
त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी।।
जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै। ध्यान लगाकर सुनै सुनावै।।
ताकौ कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै।।
पुत्रहीन अरु सम्पति हीना। अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना।।
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै।।
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा।।
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै।।
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा।।
प्रतिदिन पाठ करै मन माही। उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं।।
बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई।।
करि विश्वास करै व्रत नेमा। होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा।।
जय जय जय लक्ष्मी भवानी। सब में व्यापित हो गुण खानी।।
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं।।
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजै।।
भूल चूक करि क्षमा हमारी। दर्शन दजै दशा निहारी।।
बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी। तुमहि अछत दुःख सहते भारी।।
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में। सब जानत हो अपने मन में।।
रुप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण।।
केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्धि मोहि नहिं अधिकाई।।

॥ दोहा।।
त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश।।
रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर।।

इति श्री लक्ष्मी चालीसा समाप्तं

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